- आर्मी चीफ बनने के बाद जनरल नरवणे 9 जनवरी को सियाचिन गए थे।
- सोमवार को लोकसभा में रखी गई कैग रिपोर्ट में सैनिकों के लिए जरूरी सामानों की किल्लत का जिक्र किया गया था
- इसके मुताबिक, सप्लाई में देरी होने से बर्फीली चोटियों पर तैनात सैनिकों को पुराने जूते फिर इस्तेमाल करने पड़े
नई दिल्ली. सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने सियाचिन में तैनात सैनिकों की स्थिति को लेकर संसद में रखी नियंत्रक और महालेखा परीक्षक यानी सीएजी की रिपोर्ट को पुरानी बताया। उन्होंने मंगलवार को कहा- यह तीन साल पुरानी रिपोर्ट है। आज सियाचिन जाने वाले हर जवान को करीब 1 लाख रुपए के कपड़े-जूते मिलते हैं। किसी भी जवान को सियाचिन या ऐसी किसी दूसरी जगह पर तैनात करने से पहले पूरी तरह तैयार करते हैं। यह बात स्पेशल राशन के मामले में भी लागू होती है। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि सेना की सभी जरूरतें पूरी हों। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि 2020 में हम पूरी तरह तैयार हैं।
सेना प्रमुख ने कहा- जैसे-जैसे हालात बेहतर होंगे, नई टेक्नोलॉजी आएगी, ठंड से निपटने के लिए हल्के और बेहतर कपड़े आएंगे, हम इसे सेना में जरूर लाएंगे। हम हर कीमत पर सैनिकों की जरूरतें पूरी करेंगे।
सैनिकों को 2016 में जूते और बाकी सामान की सप्लाई देरी से हुई : कैग रिपोर्ट
सीएजी की एक रिपोर्ट सोमवार को लोकसभा में पेश की गई थी। इसमें 2015-2016 से 2017- 2018 के बीच सैनिकों के लिए जरूरी सामानों की किल्लत का जिक्र किया गया था। इसमें कपड़ों से लेकर राशन की सप्लाई शामिल है। सियाचिन, लद्दाख और करगिल जैसी बर्फीली सरहदों पर तैनात सैनिकों को ईसीआई यानी एक्सट्रीम कोल्ड क्लोथिंग एंड इक्यूपमेंट दिए जाते हैं। इसमें खास तरह के जूते, दस्ताने, कोट, चश्मे और स्लीपिंग बैग होते हैं। लेकिन, 2016 में इसमें कमी देखी गई। सियाचिन में तैनात सैनिकों को गर्मियों में जूते मिल जाते हैं। लेकिन, सप्लाई में देरी की वजह से बर्फीली चोटियों पर तैनात सैनिकों को पुराने जूते दोबारा इस्तेमाल करने पड़े। इन जूतों को अत्यधिक ठंडे इलाकों के लिए तैयार किया जाता है। यह सियाचिन में -50 डिग्री से ज्यादा तापमान में जवान के पैरों को बचाते हैं।
सैनिकों के खाने में कैलोरी की मात्रा 82% कम रही
रिपोर्ट में कहा गया है कि सैनिकों को एक्सपायरी डेट निकल जाने के बाद भी ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं दिए गए। वहीं, इन सैनिकों को विशेष राशन भी कम सप्लाई किया गया। इससे इनके खाने में जरूरी कैलोरी की मात्रा 82 % कम रही। दिसंबर 2019 में इस रिपोर्ट को राज्यसभा में पेश किया गया था, अब इसे लोकसभा में रखने के साथ सार्वजनिक किया गया।