गुरुवार को ईटानगर में एक कार्यक्रम के दौरान अमित शाह।
- केंद्रीय गृहमंत्री गुरुवार को अरुणाचल प्रदेश की यात्रा पर थे, चीन को यह नागवार गुजरा
- चीन अरुणाचल प्रदेश पर दावा करते हुए उसे दक्षिणी तिब्बत बताता रहा है
ईटानगर. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने गुरुवार को अरुणाचल प्रदेश का दौरा किया। शाह के इस दौरे का चीन ने विरोध किया। उसने कहा- यह हमारी क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन और आपसी राजनीतिक भरोसा तोड़ने वाला कदम है। शाह अरुणाचल प्रदेश के 34वें स्थापना दिवस समारोह में शिरकत के लिए ईटानगर गए थे। उन्होंने यहां कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया।
गृहमंत्री ने कई इंडस्ट्री और रोड से जुड़ी कई योजनाओं का शिलान्यास भी किया। चीन हमेशा अरुणाचल प्रदेश में भारतीय नेताओं की यात्रा का विरोध करता रहा है।
‘कथित अरुणाचल प्रदेश को नहीं मानते’
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेन्ग शुआंग ने ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में शाह की यात्रा को गैरजरूरी करार दिया। एक सवाल के जवाब में शुआंग ने कहा, “दक्षिणी तिब्बत और चीन-भारत सीमा के इस हिस्से को लेकर हमारा नजरिया हमेशा साफ रहा है। यह बदलने वाला नहीं है। चीन सरकार ने तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को कभी मान्यता नहीं दी। हम यहां भारतीय नेताओं के दौरे का विरोध करते हैं। यह हमारी क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन है। साथ ही यह आपसी राजनीतिक भरोसे को भी तोड़ने वाला कदम है। दोनों देशों के बीच कुछ समझौतों का भी यह उल्लंघन है।”
सीमा पर शांति बनाए रखना जरूरी
भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा है। इसे एलएसी कहा जाता है। अरुणाचल प्रदेश इसी बॉर्डर एरिया में आता है। चीन का दावा है कि अरुणाचल प्रदेश वास्तव में उसका दक्षिणी तिब्बत का इलाका है, जिस पर भारत ने कब्जा कर रखा है। मुद्दे को सुलझाने के लिए दोनों देशों के बीच 22 दौर की बातचीत हो चुकी है। हालांकि, समाधान अब तक नहीं हो सका। एक सवाल के जवाब में शुआंग ने कहा, “हम भारत से अपेक्षा करते हैं कि वो ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगा जिससे हालात मुश्किल हो जाएं। सीमा पर शांति बनाए रखना बेहद जरूरी है।”