- आईडीबीआई, एलआईसी और पोर्ट कंपनियों में निवेश के तीन विकल्प मिलेंगे
- इस वित्तीय वर्ष में सरकार का विनिवेश लक्ष्य 2.11 लाख करोड़ रुपए है
नई दिल्ली. इस बार बजट में निवेशकों के लिए कम ही उपाय किए गए हैं। हालांकि, आईडीआई, एलआईसी और पोर्ट कंपनियों में निवेश के तीन विकल्प मिलेंगे। फिलहाल सरकार का जोर खर्च करने पर है, ताकि बाजार में पैसा आए, मंदी की धारणा खत्म हो। इस वित्तीय वर्ष में सरकार का विनिवेश लक्ष्य 2.11 लाख करोड़ है। पढ़िए, निवेश के लिए इस बार क्या है...
शेयर बाजार/म्युचुअल फंड: डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स खत्म
घोषणा: 20.56% डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स समाप्त किया गया। लाॅन्ग टर्म कैपिटल गेन में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह अभी 10% है। सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स भी यथावत रखा।
- सरकार आईपीओ के जरिए एलआईसी में अपना हिस्सा बेचेगी।
- आईडीबीआई बैंक में सरकार अपना हिस्सा निजी हाथों में बेचेगी।
- पोर्ट कारोबार से जुड़ी कंपनियों की लिस्टिंग होगी।
- नए टैक्स स्लैब चुनने पर इक्विटी लिंक टैक्स सेविंग स्कीम, एलआईसी आदि का फायदा नहीं मिलेगा।
- नए टैक्स स्लैब में भी नेशनल पेंशन स्कीम जारी रहने से निवेश बढ़ेगा।
असर: डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स समाप्त होने से वित्तीय बोझ आम निवेशक पर पड़ गया है। अब वे टैक्स के दायरे में आ जाएंगे। कंपनियों की जगह उन्हें टैक्स देना पड़ेगा। एलआईसी, अईडीबीआई और पोर्ट कारोबार से जुड़ी कंपनियां मुनाफा देने वाली कंपनियां हैं। इससे निवेशक इसके शेयर खरीदकर अपने पोर्ट फोलियों में मुनाफा बढ़ा सकते हैं। नए टैक्स स्लैब को चुनने वाले व्यक्ति की शेयर बाजार में भागीदारी कम होगी। म्युचुअल फंड में भागीदारी घटेगी। हालांकि पुराने स्लैब में रहने वाले टैक्सपेयर निवेश की तरफ आकर्षित होंगे। लंबे समय में उन्हें अधिक मुनाफा मिलने की संभावना है।
(2020-21 में निवेश पर रिटर्न का अनुमान: 12% रह सकता है।)
रियल एस्टेट: सस्ते मकान की ओर रुझान
घोषणा: निवेश के लिहाज से रियल एस्टेट सेक्टर में बजट में दो घोषणाएं हुई हैं। अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम को मार्च 2021 तक बढ़ा दिया गया है। बिल्डर्स को आयकर में मिलने वाली छूट की अवधि को बढ़ाया है।
असर: अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम की अवधि बढ़ने से लोगों का सस्ते मकान की तरफ रुझान बढ़ेगा। साथ ही बिल्डर्स के नए अफोर्डेबल प्रोजेक्ट शुरू करने की डेडलाइन भी एक साल बढ़ जाएगी।
(2020-21 में रिटर्न का अनुमान: 11-12% रह सकता है।)
सोना: आयात पर लगाम की कोशिश
घोषणा: उम्मीद थी कि सॉवरिन बॉन्ड पर ब्याज दर बढ़ाएंगे। साथ ही गोल्ड मॉनिटाइजेशन का नया स्वरूप आएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बजट में सोने के इंपोर्ट पर लगाम लगाने के लिए प्रावधान किए गए हैं।
असर: सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड में आकर्षण कम होगा। मॉनिटाइजेशन स्कीम न आने से घरों में पड़ा सोना बैंकों तक नहीं पहुंच पाएगा। वहीं इंपोर्ट पर लगाम लगाने से विदेशी मुद्रा बचेगी।(2020-21 में रिटर्न का अनुमान: 6-10% रह सकता है।)
एफडी/बॉन्ड: कॉर्पोरेट बॉन्ड की सीमा बढ़ी
घोषणा: एफडी में सुरक्षा बीमा सीमा को 1 लाख से बढ़ाकर 5 लाख किया। कॉर्पोरेट बॉन्ड में विदेशी निवेश की सीमा 9% से बढ़ाकर 15% हुई। चुनिंदा गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में एनआरआई द्वारा निवेश की सीमा बढ़ाई गई है। लिक्विड बॉन्ड, गवर्नमेंट सिक्योरिटीज और शॉट टर्म बॉन्ड पर डीडीटी नहीं लगेगा।
असर: गरीब एवं मध्यमवर्ग लोगों का निवेश एफडी में बढ़ेगा। कॉर्पोरेट बॉन्ड में विदेशी निवेश सीमा बढ़ने से कंपनियों को कम ब्याज दर पर लंबे समय के लिए पैसा मिलेगा। चुनिंदा गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में एनआरआई का निवेश बढ़ेगा।
(रिटर्न का अनुमान: एफडी 5-7%, बॉन्ड 8% ग्रोथ स्कीम में)
इंश्योरेंस: मेडिक्लेम की मांग बढ़ेगी
घोषणा: नए टैक्स स्लैब में बीमा पॉलिसी पर छूट खत्म कर दी है। साथ ही आयुष्मान योजना का दायरा भी नहीं बढ़ाया है।
असर: बीमा पॉलिसियों की बिक्री घटेगी। आयुष्मान का दायरा न बढ़ने से मेडिक्लेम पॉलिसी की बिक्री बढ़ेगी। अब नई पॉलिसी लोग परिवार की सुरक्षा के लिए ही खरीदेंगे, टैक्स नहीं बचेगा।(2020-21 में रिटर्न का अनुमान: 3-7% रह सकता है)